Madhu varma

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लेखनी कविता - तितली से प्यारी - बालस्वरूप राही

तितली से प्यारी / बालस्वरूप राही


पंख अगर मिलते तितली के
दूर-दूर उड़ जाती में,
कंठ अगर पाती कोयल का
मीठे गीत सुनाती मैं।

पर मम्मी- पापा कहते मैं
तितली से भी प्यारी हूँ,
राजकुमारी से भी बढ़ कर
उन की राजदुलारी हूँ।

रंग- बिरंगी फ्रॉक पहन कर
जब मैं गीत सुनाती हूँ,
सब कहते मैं कोयल से भी
बढ़ कर मीठा गाती हूँ।

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