लेखनी कविता - तितली से प्यारी - बालस्वरूप राही
तितली से प्यारी / बालस्वरूप राही
पंख अगर मिलते तितली के
दूर-दूर उड़ जाती में,
कंठ अगर पाती कोयल का
मीठे गीत सुनाती मैं।
पर मम्मी- पापा कहते मैं
तितली से भी प्यारी हूँ,
राजकुमारी से भी बढ़ कर
उन की राजदुलारी हूँ।
रंग- बिरंगी फ्रॉक पहन कर
जब मैं गीत सुनाती हूँ,
सब कहते मैं कोयल से भी
बढ़ कर मीठा गाती हूँ।